स्वच्छ भारत
अर्थव्यवस्था एक खेल है जो मुझे समझ नहीं आता, जीना है तो दो शब्द इसके बारे में कह ही देते है, स्वच्छ भारत का इरादा बच्चों और बुढ़ो, सभी ने किया, फिर भी कचरा शौक से बनता है खाली प्लाॅट की शोभा, दीवार पर लिखा विरोधियो ने, गधा पेशाब कर रहा है, पेशाब करने वाला बेचारे गधें पर इल्ज़ाम लगा रहा है, जहां सोच वहा शौचालय कभी-कभी सुनना, लगता है अजीब, पढ़ाने के अलावा शिक्षक के है दूसरे सभी काम, हालात करीब, हाथों को धोए एंटिसेप्टिक से, भलें ही खाना नसीब न हो भुखे रहो, कीटाणु दूर भगाओ, मगर महंगाई कम न हो!