सोचती हुँ, कल का दिन तो खुशियाँ लेकर आएगा, बस आज कैसे भी गुजर जाए हर दिन ये सोच के गुजर जाता है लगता है मै जिन्दा हूँ कल के इंतजार में, मगर कल तो कभी नहीं आता है।
कहते हैं कभी-कभी उस पर छोड़ना पड़ता है, फिर भी वहीं होता है जो वह चाहता है। तो हम कुछ करते क्यों है, उस पर क्यों नहीं छोड़ देते। ये भी एक अजीब सा सवाल है, शायद इसका जवाब उलझी जिंदगी को कुछ हद तक सुलझा दे!
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