बारिश प्रेमियो का मौसम है, इसकी बुराई करना जरा महँगी है, मगर ज़रा गौर करे जिसे धुप से मोहब्बत है, उसके लिए तो जिंदगी अभी बेमतलब है , वोह तो बिछड़ा है अपने प्रेमी से, सूरज से प्यार वही एक तो करता है, सूरज जगाता है जोश कुछ करने की, बारिश देती है ठण्डक, ले जाती है रंगत, अब न करो मनमानी बारिश खूब, है सूरज की किरणों से मोहब्बत बहुत !
कहते हैं कभी-कभी उस पर छोड़ना पड़ता है, फिर भी वहीं होता है जो वह चाहता है। तो हम कुछ करते क्यों है, उस पर क्यों नहीं छोड़ देते। ये भी एक अजीब सा सवाल है, शायद इसका जवाब उलझी जिंदगी को कुछ हद तक सुलझा दे!
nice
ReplyDeletethnk u
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