कहते हैं कभी-कभी उस पर छोड़ना पड़ता है, फिर भी वहीं होता है जो वह चाहता है। तो हम कुछ करते क्यों है, उस पर क्यों नहीं छोड़ देते। ये भी एक अजीब सा सवाल है, शायद इसका जवाब उलझी जिंदगी को कुछ हद तक सुलझा दे!
सब साफ़ और सुलझे रास्ते पर चलना चाहते है, कोई गड्ढों से गुजरना पसंद नहीं करता। मगर गड्ढे ही ऐसी चीज़ है जो रास्ते मे खूब मिलते है, अब चाहे वोह ज़िन्दगी के हो या सड़क के! तो क्यो ना इन गड्ढों को अपना दोस्त बना लिया जाए।
जाने क्यों उस मिट्टी में क्या है जो घर की याद आती है, जाने इस परदेस में क्या है जो यहाँ रोके रखता है, इस कश्मकश में ही जीये जा रहे है, दिल है कही ओर, दिमाग की माने जा रहे है, दिल ओर दिमाग की मनमानी एक होना चाहिए, जिंदगी लंबी नहीं बल्कि बड़ी होना चाहिए, पंछी है हम आखिर उड़ना भी सीख गए, दस्तूर है नया आशियाना, वो बना गए, अपनों से दूर होना कोई बड़ा मसला नही, गैरो को अपना बनाना किसी को आता नहीं, अब जिंदगी का फलसफा कुछ ऐसा होना चाहिए , जिंदगी लंबी नहीं बल्कि बड़ी होना चाहिए।
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